ऐसे समाज में जब कला या तो पूरा बाजार हो गई हो या दो जून की रोटी का सामान या फिर चन्द शौकिया मिजाज़ के चटखारे. जब कला अपनी जड़ो-जमीन से उखड़ रही हो, ऐसे मुश्किल दौर में युवा कलाकारों का संगठन " कला - कम्यून " कला को एक बार फिर अपनी जमीन से रोपने का प्रयास है.
जहां कला किसी सनक, मजबूरी या शौक से नहीं बल्कि जीवन के खरे अनुभव और जद्दोजहद से उपजेगी, जिसमें बीते हुए कल का अनुभव, आज की दृष्टि और आनेवाले बेहतर कल का सपना हो.
" कला - कम्यून " एक समर्पित प्रयास है - रचना का जीवन और जीवन का समाज के साथ लयात्मक रिश्ता बनाने का, जहां कला राजमहल की खिड़की पर खिलने वाला फूल नहीं हमारे, आपके, सबके जीवन का हिस्सा हो.
2 comments:
ये ब्लाग तो गजब है दोस्तो ! मेरी बधाई !
shirish kumar mourya
क्या बात है फ़ोटो देख कर तो लग रहा है कि बहुत ही विशाल रहा होगा.. हज़ारों लोगों ने देखा होगा.. बहुत अच्छा लग रहा है ये सब देख कर..
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