Monday, December 17, 2007

चम्पा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

कवि त्रिलोचन शास्त्री की कविता-"चम्पा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" के कुछ अंश

3 comments:

Anonymous said...

बहुत अच्छी कविता है। इसे पढकर अच्छा लगा।
ब्लागवाणी से पता चला कि कला कम्यून ने भी ब्लाग पर कार्य शुरु कर दिया। बहुत अच्छा लगा। मुझे आपके पोस्टर हमेशा से पसन्द रहे हैं और मेरे पास सारे की तो नहीं पर कुछ की कॉपियां भी हैं। कला कम्यून से ऐसे भी जुडा जा सकेगा ...
बहुत-बहुत बधाई!
नूतन मौर्या

पारुल "पुखराज" said...

कविता बहुत अच्छी लगी……बहुत आभार

VIMAL VERMA said...

क्या बात है,हमें आपसे यही उम्मीद रहती है थोडा ललित कला पर भी पोस्ट होना चाहिये,जमे रहिये, शुक्रिया.