आदिवासियों में 'जनी शिकार' नाम से उत्सव मनाने की परम्परा चली आ रही है, इस दिन महिलाएं पुरुषों के वेश में शिकार पर जाती हैं, उक्त मूर्तिशिल्प इसी पृष्ठभूमि पर आधारित है.
महिला का दायां हाथ खुद तीर बन गया है जो इस व्यवस्था के प्रति घोर आक्रोश का प्रतीक है ऊपर की ओर लहराते हुए बाल नारीशक्ति, नारी तेवर का प्रतीक है. साथ-साथ मदिरा की हांड़ी को ऊर्जा के रूप में रूपायित किया है.
व्यंग्यात्मक रचनाएं
समकालीन राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थियों के ऊपर केन्द्रित थी. 'डेमोक्रेसी' प्रथम एवं द्वितीय को जनता ने काफ़ी सराहा, दोनों कृतियों को साउथ सेण्ट्रल जोन नागपुर में दो बार क्रमश: जूनियर एवं सीनियर श्रेणी में सम्मानित किया गया.
रामकिंकर मेरे प्रेरणाश्रोत
मूर्तिकार कलागुरू श्री रामकिंकर बैज का आदिवासियों के जीवन पर आधारित सारी कलाकृतियां व उनका व्यक्तित्व मेरे प्रेरणाश्रोत है.
'आदिम लय' शीर्षक के तहत की गयी मेरी कलाकृतियां उम्मीदतन बेसुरे हो रहे इस समाज को एक नया सुर-लय-ताल देने में सक्षम होंगी.
2 comments:
मनोज अभी तुम कहां हो?
देव प्रकाश
09910267170
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